गांव के एक दलित नेता शिवप्पा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान ग्रामीणों ने उनके साथ समान व्यवहार करने पर सहमति जताई, लेकिन बाद में उनका भेदभाव जारी रहा।