त्रिपुरा जैसे राज्य में, जहां 60 में से 20 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं, वहां टिपरा मोथा इन चुनावों में एक बड़ी ताकत बनकर उभर सकती है।